राम भला कैसे इनकार करते।
कहते हैं लंका से लौटने के बाद और राज्याभिषेक के बाद माता सुनयना ने जँवाई बेटा को मिथिला आने का सासू माँ का लाड़ भरा आग्रह भेजा। राम भला कैसे इनकार करते। लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न को भी ससुराल जाने का चाव पूरा हुआ। हनुमान उन दिनों वहीं थे सो उनको भी आने का आग्रह हुआ। सुग्रीव, अंगद, नल, नील आदि ने प्रभु से शिकायत की कि ये तो सरासर पक्षपात है। मंद मंद मुस्कुराते हुए प्रभु ने सबको स्वीकृति दे दी। वानरों से भलीभांति परिचित डिग्निटी पसंद लक्ष्मण की पेशानियों पर बल पड़ गए कि कहीं संभ्रांत आर्य नागर परंपरा से अनभिज्ञ सरल परंतु उजड्ड वानर ससुराल में भैया के साथ साथ पूरे रघुवंश को हमेशा के लिए हंसी का पात्र न बना दें। लक्ष्मण इस बात से भली भांति परिचित थे कि औपनिषदिक जनक परंपरा के गंभीर राजाओं की श्रृंखला के बावजूद मिथिला वाले किसी की टांग खींचकर मजे लेने से कभी बाज नहीं आते हैं और बुरा मानने पर कवित्तों के माध्यम से सदियों तक ताना देने में समर्थ हैं। लेकिन भैया का आदेश टाल भी नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने सुग्रीव, हनुमान, अंगद, नल नील आदि को नागर परंपराओं की ट्रेनिंग देना शुरू किया और बाकी वानरों से ...