Desh bhakto ki kahani

 यह जो मायावती के साथ दाढ़ी वाले सज्जन दिखाई दे रहे हैं ना यही कृष्ण बनकर आए थे द्रोपदी बनी मायावती की लाज बचाने 2जून 1995 में लखनऊ गैस्ट हाउस में।

RSS से मिली लाठी चलाने की शिक्षा-दीक्षा ने उस दिन मायावती की इज्जत को तार-तार होने से बचा लिया। एक अकेला व्यक्ति कुशलतापूर्वक दंड चलाता हुआ समाजवादी गुंडों की भीड़ में घुस गया और मायावती को बचा कर लाया और बाद में गुंडों की गोली से हमारे यही जांबाज़ भाजपा विधायक "ब्रम्हदत्त द्विवेदी" शहीद हुए।


संघ और भाजपा की आलोचना करने वाली मायावती तब साड़ी पहना करती थी और गैस्ट हाउस कांड के बाद सूट पहनने लगी।


मायावती ने समाज मे फैले इस भ्रम को भी दूर कर दिया की औरत सब को माफ कर सकती है पर अपनी इज्जत पर हाथ डालने वाले को कभी माफ नहीं करती।


ऐसी मौकापरस्त औरतें सिर्फ अपनी वेशभूषा ही नहीं बदलती वरन अपने विचार भी बदल लेती हैं।

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